नहीं रहें किसान नेता Chaudhary Ajit Singh, जनता और किसानों के लिए समर्पित कर दी पूरी ज़िंदगी

आज गुरुग्राम के अस्पताल में Chaudhary Ajit Singh का निधन हो गया, ऐसा रहा चुका था उनका शानदार राजनीतिक सफर.

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कोरोना (Coronavirus) ने कई लोगों के साथ-साथ ऐसे राजनेताओं और सेलेब्स को अपनी चपेट में ले लिया, जिसके चलते उनकी जान चली गई. उन्हीं में से एक रहे चौधरी अजित सिंह (Chaudhary Ajit Singh). आज गुरुग्राम के अस्पताल में उनका निधन हो गया. वो कोरोना संक्रमित थे. उन्हें राजनीति के बेहद समझ थी क्योंकि उनके पिता चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री (Prime Minister) जो रह चुके थे. पिता के बीमारी होने के बाद ही वो राजनीति में नजर आए.  साथ ही वो कई बार केंद्र मंत्री भी बने रहे. बहुत कम लोगों को पता है कि वो पेशे से कंप्यूटर साइंटिस्ट रहे हैं. यहां तक की उन्होंने आईबीएम में भी काम किया था. ऐसे में आइए हम  जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में यहां जोकि बहुत कम लोगों को पता है.

अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 को मेरठ में हुआ था. उन्हें विज्ञान के विषय में काफी ज्यादा दिलचस्पी थी. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से बीटेक और एमएस प्रौद्योगिकी संस्थान इलिनोइस से किया. वो पेश से कंप्यूटर साइंटिस्ट थे. 1960 के दशक में आईबीएम के साथ काम करने वाले पहले भारतीयों में से वो एक रह चुके थे.

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पिता के बीमार होने के बाद राजनीति में रखा कदम

पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बीमार होने के बाद राज्यसभा के लिए अजित सिंह चुने गए थे. 1989 में उन्होंने अपनी पार्टी का जनता दल विलय कर लिया और वीपी के नेतृत्व वाली जनता दल के महासचिव बने. उस चुनाव के दौरान अजित सिंह ने काफी मेहनत करते हुए जनता दल को यूपी में सफलता दिलाई. 1989 में बागपत से लोकसभा उन्होंने चुनाव जीता. वह दिसंबर 1989 से नंवबर 1990 तक वीपी सिंह के मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री तक रहे थे. वही, 1991 में उन्होंने फिर से लोकसभा का चुनाव जीता था. बाद में वो पी वी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल के खाद्य मंत्री के रूप में काम करते दिखे.


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जब दिया इस्तीफा तो ऐसे बदल गए हालात

अजित सिंह 1996 में कांग्रेस की तरफ से वो चुनाव जीते लेकिन उन्होंने बाद में पार्टी और लोकसभा दोनों से इस्तीफा दे दिया. वो राष्ट्रीय लोक दल की स्थापना की और 1997 के उपचुनाव में फिर से चुने गए. उन्हें 1998 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. 1999, 2004 और 2009 में फिर से चुने गए.  2001 से 2003 तक वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कृषि मंत्री तक रहे थे. 2011 में यूपीए में शामिल होने के बाद अजित सिंह दिसंबर 2011 से मई 2014 तक नागरिक उड्डयन मंत्री के तौर पर काम करते नजर आए. 2014 में लोकसभा चुनवा में वे बीजेपी के संजीव बाल्यान से हार गए. इसके बाद से अजित सिंह को कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लग पाई है.

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